Friday, February 12, 2010

सलीम ख़ान के पत्रकार भाई समीउद्दीन नीलू (यू पी पुलिस द्वारा उत्पीड़ित) को मानवअधिकार आयोग से राहत, यू पी सरकार को ५ लाख मुआवजा देने का निर्देश

बचपन से सुना करते थे कि ऊपर वाले के यहाँ देर है अंधेर नहीं ! लेकिन देश के मौजूदा सड़े हुए तंत्र में जिस तरह से आम जनता का भरोसा उठ गया है वह भी एक गंभीर समस्या ही है. समीउद्दीन नीलू उत्तर प्रदेश के लखीमपुर ज़िले में विगत एक दशक से ज़्यादा समय से हिंदी दैनिक समाचार पत्र अमर उजाला में बतौर संवाददाता अपनी सेवा कर रहें हैं. शीर्षकान्तर न हो इसलिए मैं यह बताना चाहूँगा कि कैसे मेरे भाई को यूपी की बल्कि लखीमपुर-खीरी की एस पी 'पद्मजा' ने अपने सरकारी पॉवर का दुरुपयोग करते हुए मानवता के क्रूरतम, तंत्र के दुष्टतम कृत्य को मात्र अपने गलत व समाज विरोधी कार्यों को छिपने के उद्देश्य से, जान से मारने की कोशिश (एनकाउन्टर) की और अपने नीचे कार्य करने आले पुलिस वालों की सहायता के ज़रिये उन्हें वन्य जीव अधिनियम के केस में फ़र्ज़ी तरीक़े से जेल भिजवा दिया.

लेकिन कहते हैं कि सांच को आंच नहीं, बस कुछ ऐसा ही हुआ. लखनऊ मंडल और बरेली मंडल में वकीलों, किसानों, मजदूरों, पत्रकारों और हाकरों द्वारा किये गए जन-आन्दोलन के चलते प्रशासन के बालों में जूं रेंगी और उन्हें लगभग 9 दिन जेल में रहने के बाद राहत नसीब हुई. मैं जब उनसे मिलने जेल गया था (मैं जेल ही पहली मर्तबा गया था) वहां कैदियों की हालत देख मेरे तो रोये खडे हो गए. अपने भाई को जेल में इस तरह बंद देख मैं खूब रोया. मेरे सबसे छोटे चाचा जो कि पीलीभीत बार एसोशियेशन के अध्यक्ष है अपने सहयोगी वकीलों के साथ उन्हें देखने आये. इस तरह से उन्हें लगभग 9 दिनों के बाद प्रशासन ने जेल से रिहा करने के निर्देश दे दिए. मामला विधान सभा और विधानं परिषद् में भी उठा....
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Tuesday, October 6, 2009

इस्लाम व विश्व की अन्य सभ्यताओं में नारी की स्थिति की तुलना Compersion Between Islam & Other Civilization

"भूतकाल में स्त्रियों का अपमान किया जाता था और और उनका प्रयोग केवल काम वासना के लिए किया जाता था|"
इतिहास से लिए निम्न उदहारण इस तथ्य की पूर्ण व्याख्या करते हैं कि पूर्व की सभ्यता में औरतों का स्थान इस क़दर गिरा हुआ था कि उनको प्राथमिक मानव सम्मान भी नहीं दिया गया था -
बेबीलोन सभ्यता

औरतें अपमानित की जातीं और बेबिलोनिया के कानून में उनको हक और अधिकार से वंचित रखा जाता था | यदि कोई व्यक्ति किसी औरत की हत्या कर देता था तो उसको दंड देने के बजाये उसकी पत्नी को मौत के घाट उतार दिया जाता था |
यूनानी सभ्यता

इस सभ्यता को प्राचीन सभ्यताओं में अत्यंत श्रेष्ट माना जाता है| इस 'अत्यंत श्रेष्ट' व्यवस्था के अनुसार औरतों को सभी अधिकारों से वंचित रखा जाता था और वे नीच वस्तु के रूप में देखी जाती थी | यूनानी देवगाथा में 'पान्डोरा' नाम की एक काल्पनिक स्त्री पूरी मानवजाति के दुखों की जड़ मानी जाती है | यूनानी लोग स्त्रियों को पुरुषों के मुकाबले तुच्छ मानते थे | हालाँकि उनकी पवित्रता अमूल्य थी और उनका सम्मान किया जाता था,
लेकिन बाद में यूनानी लोग अंहकार और काम वासना में लिप्त हो गए | वैश्यावृत्ति यूनानी समाज के हर वर्ग में आम रिवाज़ बन गयी थी |

रोमन सभ्यता

जब रोमन सभ्यता अपने गौरव के चरम सीमा पर थी, उस समय एक पुरुष को अपनी पत्नी का जीवन छिनने का अधिकार था | वैश्यावृत्ति और नग्नता रोमन सभ्यता में आम थी|

मिश्री सभ्यता

मिश्री सभ्यता स्त्रियों को शैतान का रूप मानते थे|

इस्लाम से पहले का अरब

इस्लाम से पहले अरब में औरतों को नीचा मन जाता था और जब कभी किसी लड़की का जन्म होता था तो आमतौर पर उसे दफना दिया जाता था |

"इस्लाम में औरतों की जो स्थिति है, उस पर सेक्युलर मिडिया का ज़बरदस्त हमला होता है| वे परदे और इस्लामी लिबास को इस्लामी कानून में स्त्रियों की दासता के मिसाल के रूप में पेश करते हैं | जबकि यह बिलकुल ही झूठ है और पश्चिमी समाज का डर है, जो उन्हें ऐसा करने पर मजबूर कर रहा है |"

प्रस्तुति- सलीम खान

Thursday, August 6, 2009

बी स एन ल करेगा अब आपके घर के पास में ही वसूली : बिल की


आज सबेरे अखबार में पढ़ा की भारत संचार निगम लिमिटेड याने बी स एन ल छत्तीसगढ में नई योजना शुरू करने जा रही है जिसका कहना कुछ ऐसा है बिल बुगतान की असुविधा को ख़त्म करने के लिए बी स न ल ने किसी निजी कंपनी से करार कर बहुतायत में बिल भुगतान या यु कहे की आपके घर के आस पास ही वसूली सेंटर खोलने का निर्णय लिया है जिसके लिए जगह - जगह काउंटर खोलने का प्रावधन भी है पर वो ये भूल गए की वे अपना ध्यान वसूली से हटा कर सुविधा देने पर भी लगते तो शायद उपभोक्तो को राहत मिलती ४०% कनेक्शन तक पहुच चुकी भारत संचार निगम लिमिटेड में ब्राड बैंड याने इंटरनेट ने फिर जान फुक दी और वो फिर से हरा भरा हो लहलहा उठा , बावजूद उसके आज भारत संचार निगम लिमिटेड ब्राड बैंड का कनेक्शन बाटने तक ही सीमित है . ब्राड बैंड की स्पीड और लिंक फेल जैसी परेशानी से आज हर कोई वाकिफ है तो सुविधा और सर्विस से कोसो दूर उपरोक्त न्यूज़ सुनने मिले तो यही कहा जा सकता है की बी स एन ल ने भी छत्तीसगढ को सरकारी कर्मचारी की तरह दुधारू गाय ही समझ लिया है और ठेकेदारी प्रथा में विश्वाश रखने वाले बी स एन ल के शीर्ष अधिकारियो ने फिर से एक नया शगूफा छोड़ दिया
बहरहाल बी स एन ल की कार्य प्रणाली किसी से छुपी नहीं है तो उन्हें मेरा सुझाव यह है की अगर कनेक्शन बाटने के बाद सुविधा याने सर्विस पर भी तवज्जो दे और जहा वे घर के पास बिल जमा करने के लिए काउंटर खोलने की बात कर रहे है क्या वे उसी तरह घर के पास ही उपभोक्ता के कम्प्लेंट भी सुनेगे या उसे अनदेखा कर देगे मतलब वसूली के लिए पास में काउंटर खोल रहे तो उसी तरह कम्पलेंट और सुविधा के लिए भी सुलभ पहुच किसी व्यवस्था का कोई प्रावधान है की बस यु ही .........................

Friday, April 10, 2009

जिंदल पर चला जूता


नेताओं पर जूता फेंकने की घटना में इजाफा होता जा रहा है पत्रकार जरनैल सिंह  द्वारा  गृहमंत्री पी चिदंबरम  पर जूता  फेकने के बाद अब कांग्रेसी सांसद नवीन जिंदल को भी एक फ्लाईंग जूते का सामना करना पडा.आज कुरुक्षेत्र में एक चुनावी रैली के दौरान एक रिटायर्ड स्कूल प्रिंसिपल ने नवीन जिंदल को निशाना लगाकर जूता फेंका।
  सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक  कांग्रेसी नेताओं, उनके वादों और कांग्रेस की नीतियों से नाराज होकर  रिटायर्ड प्रिंसिपल राजपाल ने  नाराजगी जताते हुए कुरुक्षेत्र से कांग्रेस के सांसद नवीन जिंदल पर भरी चुनावी सभा के दौरान उनपर जूता फेंका, लेकिन निशाना चूक गया और जूता नवीन जिंदल को नहीं लगा.हालांकि कांग्रेस का दावा है कि वह शराब के नशे में थे और इस घटना के पीछे विरोधियों का हाथ है। फिलहाल राजपाल को पुलिस ने हिरासत में  लिया ओए पुछ्ताछ के बाद छोड़ दिया 
 

Tuesday, April 7, 2009

गृहमंत्री चिदंबरम पर पत्रकार ने जूता फेंका


गृहमंत्री चिदंबरम पर पत्रकार ने जूता फेंका
इराक में अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति जॉर्ज बूश पर जूता फेंकने की घटना भारत में भी तरोताजा हो गई आज नई दिल्ली में मंगलवार को गृह मंत्री पी चिदंबरम की प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान हिन्दी अखबार दैनिक जागरण के पत्रकार जरनैल सिंह ने भावना में बहकर उन पर जूता फेंका।

Sunday, April 5, 2009

युवाओँ की भड़ास


आज हमारे देश को एक युवा नेतृत्व की सक्त जरुरत है एक युवा ही समाज को बदल सकता है एक युवा ही समाज में फैले आतंकवाद और नक्सलवाद का मुहतोड़ जबाब दे सकता है एक युवा ही हमें निर्णायक और मजबूत सरकार दे सकता हैमगर आज भी हर राजनीतिक पार्टी में सिर्फ और सिर्फ युवाओँ का शोषण हुआ है आज विधानसभा हो या लोकसभा सभी चुनावो में प्रत्याशियौ के जीत का श्रेय युवाओँ को ही जाता है क्योकि युवा ही दिनरात मेहनत कर के प्रत्याशी को सफलता दिलाता हैहर राजनीतिक पार्टी युवाओँ को जोड़ने के लिए उसे ३३% के आरक्षण की बात कहती है मगर चुनाव के दौरान उन्हें टिकट देने की ओपचारिकता मात्र कर दी जाती है और उन्हें चुनाव प्रचार की कमान का झुनझुना पकडा दिया जाता हैआज जहा भी राजनितिक पार्टियों ने युवाओँ को अवसर दिया है वहा यूवा 90% तक खरा उतरा है जबकि ये बुढे नेता टिकट बटवारे को लेकर आपस में लड़झगड़ कार आपसी भीतरघात पैदा क़र पार्टी और अपनी हार का कारण बनते है

आज राहुल गाधी युवाओँ को आरक्षण दिलाने के लिए संघर्ष रत है जिसकी मै प्रशंसा करता हु आज जितने भी आन्दोलन हो रहे है उनका सफल नेतृत्त्व एक युवा ही करता है आज रमन सरकार छात्र हित और युवा हित में एक पैसा का कम नहीं क़र रही है इसी के विरोध में आन्दोलन के डर को कारण आज भा.ज.पा. शासित प्रदेश में छात्र संघ चुनाव में रोक लगा दी गई है मगर भा.ज.पा. छात्र संघ को रोक नही सकती वो छात्र संघ तो रोकसकती है मगर छात्रों के इरादों को नहीं आज छ.ग. में बेरोजगारी दिनों दिन बढती जा रही है मगर बेरोजगारो को नौकरी तो दूर बेरोजगारी भत्ता तक नसीब नहीं हो रहा है
आखीर कबतक हम युवाओँ का शोषण होता रहेगा .........जागो यूवा जागो अपना अधिकार मांगो................{अम्बर जायसवाल पेंड्रा {N.S.U.I प्रसीडेंट}


जाग रहा है युवा सावधान नेता
इससे ये तो समझ में आने लगा है की अब युवा जाग रहा है उसे ये भी पता है कि चुनाव में प्रचार से लेकर पोलिग बूथ में अपने प्रत्याशी की कमान सभालते हुए युवा ही तैनात रहता है , है बावजूद उसके उसे सीर्फ़ ठोकरे ही मिलती है तो बस अब वो दिन दूर नहीं जब नेता तो नाम का नेता होगा ................

Saturday, April 4, 2009

जिसने मदद की वही जेहादी???... जरा सोचिये.."ये कैसी पत्रकारिता???"


जिसने मदद की वही जेहादी???... जरा सोचिये!!! "ये कैसी पत्रकारिता???"

आप सभी का सहयोग चाहिए, ताकि उन तक आवाज़ पहुँच सके जो शीशे के दीवारों के पीछे बैठे खबरों का धंधा और सौदा करते हैं... आवाज़ पहुंचानी पड़ेगी ताकि अपने मानसिक दिवालियेपन से यह समाज का दिमाग न सडाये... जिस माध्यम के ऊपर ज़िम्मेदारी है अराजकता को उजागर करने की वही अराजक हो गया है ...

स्थिति यह हो गयी कि अख़बार उठाओ या न्यूज़ चैनल लगाओ तो पहले अपनी पढाई लिखाई भूल जाओ वरना पागल कर देंगे ये आजकल के पागल पत्रकार... साले... शीशे के पीछे से मुह चिढाते हैं, पत्थर मारने कि कोशिश की तो आपका ही नुकसान... अखबार फाड़ो तो आपके ही पैसे दाण जायेंगे... क्या करे पाठक अख़बार पढना छोड़ दे टीवी केवल नाच गाने के लिए देखे ... या "if you can't avoid it, lie down and enjoy it ... "जैसे विकृत जुमले की तर्ज़ पर हर सुबह अपना मानसिक बलात्कार करवाए ...

ताज़ा प्रकरण जिस महिला ने मुंबई हमलों के दौरान पीडितों की मदद की उसकी तस्वीर आतंकी की तस्वीर बना कर दर्शकों के सामने प्रस्तुत की गई... पूरी ख़बर पढ़ें
Jehadi? me?!
http://www.punemirror.in/index.aspx?page=article&sectid=62&contentid=2009040320090403045805846a9f81381&sectxslt=

"ज़रा सोचिये" "ये कैसा खबरनामा है", ये कैसा न्यूज़ चैनल है ???

सबके ऊपर ऊँगली उठाई ... अब अपने पर ऊँगली उठते देखो...