Saturday, April 4, 2009

जिसने मदद की वही जेहादी???... जरा सोचिये.."ये कैसी पत्रकारिता???"


जिसने मदद की वही जेहादी???... जरा सोचिये!!! "ये कैसी पत्रकारिता???"

आप सभी का सहयोग चाहिए, ताकि उन तक आवाज़ पहुँच सके जो शीशे के दीवारों के पीछे बैठे खबरों का धंधा और सौदा करते हैं... आवाज़ पहुंचानी पड़ेगी ताकि अपने मानसिक दिवालियेपन से यह समाज का दिमाग न सडाये... जिस माध्यम के ऊपर ज़िम्मेदारी है अराजकता को उजागर करने की वही अराजक हो गया है ...

स्थिति यह हो गयी कि अख़बार उठाओ या न्यूज़ चैनल लगाओ तो पहले अपनी पढाई लिखाई भूल जाओ वरना पागल कर देंगे ये आजकल के पागल पत्रकार... साले... शीशे के पीछे से मुह चिढाते हैं, पत्थर मारने कि कोशिश की तो आपका ही नुकसान... अखबार फाड़ो तो आपके ही पैसे दाण जायेंगे... क्या करे पाठक अख़बार पढना छोड़ दे टीवी केवल नाच गाने के लिए देखे ... या "if you can't avoid it, lie down and enjoy it ... "जैसे विकृत जुमले की तर्ज़ पर हर सुबह अपना मानसिक बलात्कार करवाए ...

ताज़ा प्रकरण जिस महिला ने मुंबई हमलों के दौरान पीडितों की मदद की उसकी तस्वीर आतंकी की तस्वीर बना कर दर्शकों के सामने प्रस्तुत की गई... पूरी ख़बर पढ़ें
Jehadi? me?!
http://www.punemirror.in/index.aspx?page=article&sectid=62&contentid=2009040320090403045805846a9f81381&sectxslt=

"ज़रा सोचिये" "ये कैसा खबरनामा है", ये कैसा न्यूज़ चैनल है ???

सबके ऊपर ऊँगली उठाई ... अब अपने पर ऊँगली उठते देखो...

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कुछ तो कहिये, क्यो की हम संवेदन हीन नही

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