Friday, March 13, 2009

राजनीति में मोक्ष प्रधानमंत्री बनने से मिलता है

आडवानी जी की जय हो

आडवानी जी होली के इस रंग-बिरंगे पर्व पर आपको    व् आपके परिवार के समस्त सदस्यों को हार्दिक बधाई ........ लेकिन जो विज्ञापन मै इंटरनेट  में देखता हूँ  उसे देखा कर तो ऐसा  ही  लगता है   कि आप प्रधानमंत्री बनाने के लिए इतने लालायित है  कि आपने खुद ही अपना नाम प्रस्तवित किया  है  और  आप खुद ही   अपने नाम का  विज्ञापन कर रहे है तो मै आपसे ये जानना चाहता हू कि आप प्रधानमन्त्री देश के लिए बनना चाहते है   की अपने लिए ?  क्यों कि आपके रंग बी रंगे विज्ञापन देखा कर तो यही लगता है की आपकी प्रधानमन्त्री बनने की लालसा आप पर   इस कदर हावी हो चुकी है की आपने अपने अलावा भाजपा के किसी व्यक्ति या पदाधिकारी का   भी कही  कोई नमो निशान नहीं रखा   सभी को नगण्य कर दिया और खुद को खुद से ही प्रोजेक्ट करते हुए भारत के प्रधानमन्त्री का दावेदार बना दिया  इतनी महत्वकान्क्षा  भी ठीक नहीं  ,  हो सकता है  ये सही भी हो लेकिन क्या आपने कभी ऐसा देखा है की खुद ही खुद का प्रस्ताव रखता है मंच में भी हमें हार   पहनने और सम्मानित होने के लिए कोई और ही हमें प्रस्तावित करता है  और अखबारों में लगने वाले  विज्ञापनों के नीचे भी  प्रस्तावक कोई हमारा शुभ चिन्तक होता है   ना कि खुद हम ही  अब आप ही बताइए कि आपके विज्ञापन में आप अकेले ही दिखाई पड़ते है तो क्या ये मान   ले कि आपका कोई शुभ चिंतक नहीं है या कोई हितैषी नहीं  ,  जानता हू की जैसे मरने से पहले  हिन्दुओ के लिए  तीर्थ धाम की यात्रा ज़रूरी है तभी उनको मुक्ति मिलती है   , उसी तरह मुस्लिमो में मक्का या हज किये  बगैर उनका जीवन व्यर्थ है ठीक उसी तरह राजनीति में मोक्ष का रास्ता देश का प्रधानमन्त्री बनने के बाद ही मिलता है लेकिन  इसका ये   मतलब तो नहीं की आप अकेले अपने लिए प्रधानमंत्री बन रहे है आपको किसी और से कोई लेना देना नही? हो सकता है आपको मेरी बाते दुखी करे लेकिन आप ही बताइए कि क्या कोई खुद कोई प्रस्तावित करता है  आपने यह भी देखा होगा की अगर हम किसी को  विज्ञापन  के माध्यम से  बधाई या  शुभाकमाये देते है  तो भी नीचे दुसरे का नाम होता है जो हमारा शुभचिंतक होता है  तो आप ही बताइए की आपके  विज्ञापन  को देख कर क्या मेसेज जाता है  ,  निःसंदेह आपके द्वारा चलाया गया अभियान सराहनीय है. हो सकता है , आपको सफलता भी मिल जाये लेकिन उसके बाद भी आपके  विज्ञापनों को देख कर मेरा सवाल यही होगा कि क्या  आप प्रधानमन्त्री  अपने लिए बनना  चाहते  है , देश के लिए  या  कि जनता के लिए ?

1 comments:

Sanjeet Tripathi said...

sahi hai

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कुछ तो कहिये, क्यो की हम संवेदन हीन नही

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कुछ तो कहिये, क्यो की हम संवेदन हीन नही