Friday, February 20, 2009

आओं ढूंढे छत्तीसगढी लोक संगीत का चोर .....

अभी मैंने न्यूज़ चैनलों में नई फिल्म "दिल्ली ६ " की बहुत सी तारीफ सुनी शीर्षस्थ लोगो ने , जिन्होंने फ़िल्म को १० न देते हुए सरलता सादगी और न जाने बहुत से भारी भरकम शब्दों से पुष्पंम सम्र्परप्यानी करते हुए तारीफों के पुल बान्ध डाले किसी ने यहाँ यह भी कहा कि हर इन्सान में एक अच्छाई जरूर होती है उस अच्छाई को ही फ़िल्म में दिखाने प्रयास किया गया है , उसे पहचान के उसे निखारना चाहिए वगैरा ... वगैरा .. पर मै इन सब में नही पड्ना चाह्ता हो सकता है की फ़िल्म अच्छी भी हो तारीफ़ के काबिल भी को पर मै आज सारे छत्तीसगढ़ की और से उनसे यही पूछना चाह्ता हुं की "दिल्ली ६ " में एक संगीत सुनने मिल रहा है वह कहा से है
संगीत :- सास गारी देथे ननद गारी देथे , करार गौदा फुल ..........
अगर उनके पास जवाब हो तो मुझे जरूर बताये , वो छत्तीसगढी भाषा में है इससे तो इंकार नही किय जा सकता इसका मतलब साफ है की वो छत्तीसगढ़ के लोक संगीत से लिया गया है, तो कहो हा की यह छत्तीसगढी लोकसंगीत से लिया गया है इसमे हर्ज क्या है सीधे-साधे बेचारे छत्तीसगढी उस गाने की सफ़लता में हिस्सा नही मांग रहे वो तो बस ये कह रहे है की छत्तीसगढी लोक संगीत से लिया है और जो सच भी है तो बस आप उसमे उल्लेख करे की छत्तीसगढी लोकसंगीत से है लेकिन उन बेचारो को वो नाम भी नही मिल रहा।
मै बताता हु की वो छत्तीसगढी कैसे लोग है बड़े शहर से तो उनका दूर दूर तक कोई नाता नही है उनमे से कुछ ने तो शायद जहां वो गाना गाया गया , बना उस शहर नाम भी ना सुना हो, ये इतने सीधे लोग है जो कभी अपने बच्चे को बड़ी खिलोंनो की दुकाने के रास्ते से इसलिए नही ले जाते कि उनका बच्चा कभी खिलोंनो की दुकान देख खिलोंनो की फरमाइश न कर दे , नून और चाऊँर में सारी जिन्दगी निकाल देते है यही वजह है की चाँवल वाले बाबा ने ने इसका भरपूर फायदा उठाया और सत्ता में काबिज है । इतने सीधे लोग है ये तो भला बताईये कि उन्हें क्या पता की वो अपने लोक संगीत को रजिस्ट्र्ड करा ले उन्होंने गा दिया और गुनगुनाते रहे यही सोच के की ये हमारे आलावा किसी और के काम का नही पर उन्हें क्या पता छत्तीसगढी लोकसंगीत जिसे घर घर में गुनगुनाया जाता है सावन में [हल ] नागर जोतते हुये इसी लोकसंगीत को वो गुनगुनते हुए दू एक्ड जमींन अकेले बैल के साथ जोंत देता था । पर अब वो बीती दिनों की बात हो गई अब तो इस लोकसंगीत को फ़िल्म में लिया जा चुका है और अब उसी गाने के बजाने पर आपको रायल्टी संगीत कम्पनी को देनी होगी तो ये है किस्मत का फेरा जिसने गाना लिखा बनाया वे कभी कभी छत्तीसगढ में अन्दुरुनी ग्रामीण अंचलो मे छत्तीसगढी कार्यकर्म कर लेते थे जिससे उनकी दाल रोटी चल जाती थी अब संगीतकार और कम्पनी का लेबल लगने से वो भी जाती रही तो छतीसगढ वालो सावधान हो जावो और जो भी इस तरह के गीत,संगीत, लोकसंगीत जिन्होंने भी छतीसगढ , छत्तीसगढी में जिस किसी ने गाया है उसे रजिस्ट्र्ड करा ले क्यो कि अब "दिल्ली ६ " में छत्तीसगढी लोकसंगीत कि सफलता के बाद ओँर भी इस तरह लोक लोभावन छत्तीसगढी लोकसंगीत तोड मरोड़ के अपने नाम से फिल्म में दिखने की प्रथा की शुरुवात हो चूकी है और अगर किसी को .....
संगीत :- सास गारी देथे ननद गारी देथे , करार गौदा फुल ..........
छात्तिसगाढी लोक संगीत का चोर ..... मिले तो वो जरुर उसे उसके मूळ रचियता से मिलवा दे ।

0 comments:

Post a Comment

कुछ तो कहिये, क्यो की हम संवेदन हीन नही

Post a Comment

कुछ तो कहिये, क्यो की हम संवेदन हीन नही