लोकसभ चुनाव की अधिसुचना के लिए अब कुछ ही दिन शेष है और सभी राजनैतिक दल राष्ट्रीय महापर्व के फाइनल तैयारी में जुट गए है अगर हम छतीसगढ और [रायपुर] की बात करे तो किसी अखबार ने वर्त्तमान सांसद को अंगद से परिभाषित करते हुये लोकसभा चुनाव में उनके पैर उखाड़ने वाले की तलाश है से समांचार प्रकाशीत किया है अंगद से आप सभी परिचित है रामायण काल का यह पात्र किसी परिचय का मोहताज नहीं पर हम उस अंगद की नहीं भाजपाई अंगद की बात कर रहे है अविभाजित मध्य प्रदेश में कभी कांग्रेस का गढ रहा छत्तीसगढ अब अपने ही कांग्रेसी कर्णधारो से परेशान है नाटकिय तोर तरीके से मंचो और पार्टी बैठक में कांग्रेस को आगे लेजाने और प्रदेश में सत्तासीन होने की बात करते और कहते नहीं थकने वाले कांग्रेसीयो का सपना छतीसगढ विधान सभा चुनाव में अधुरा रहा गया यहाँ पर गोरतलब बात यह है की जिस तरह एक से अधिक बुधिमान एक साथ नहीं रह सकते और न किसी दुसरे बुधिमान का प्रतिनिधित्व स्वीकार कर सकते ठीक उसी तरह छत्तीसगढ में भी कांग्रेसीयो ने खुद को बुधिमान मानने की गलती कर ली जो की सच नहीं था और यह बात उनको जनता ने विधानसभा चुनाव में दिखा दिया .
लेकिन करीब से देखे तो और भी बहुत कुछ दिखाई देता है जैसे की जनता तो परिवर्तन चाह्ती थी पर कांग्रेसीयो में नेत्रत्व ही नहीं था या यू कहें की राष्ट्रीय कांग्रेस ने डिवाइड एन रुल पॉलिसी पे ही काम करते हुए सभी को मुखिया बना कर सभी को विधानसभ चुनाव की बागडोर सौप दी जोकि बिना स्टेटेजी के मैदान में दिखाई दिए उनका सामना भाजपा से कम खुद कांग्रेसियो से ज्यादा था इन सब का सपना एक दुसरे को नीचा दीखाते हुये आगे निकलना और छत्तीसगढ की बागडोर हथियांनाथा . इसलिए पांचाली के चरित्र वाली छत्तीसगढ कांग्रेस को जनता ने स्वीकार नहीं किया और यही वजह रही की भाजपा फिर से सता सीन हो गई लेकिन भाजपा को ये गलत फहमी है की उन्होंने ये चुनाव अपने विकास कार्यो के बल बुत्ते जीता ऐसा वो समझते है, वो सिर्फ इसलिए जीते क्यो की कांग्रेस हार गई . . .. ....
आये दिन कांग्रेस में कई माध्यमों से बार बार विधानसभ चुनाव की हार के लिए पूर्व मुख्यमंत्री श्री जोगी को जिमेदार ठहराया जाता है ये मै नही कह रहा आये दिन मीडिया या किसी अन्य हवाले से जो बात सामने आते रहती है मै उसी को दोहरा रहा हु पर मैं यहाँ उनसे ये पूछना चाहता हू कि विधान सभा चुनाव में कांग्रेस की जीत के सब दावेदार थे तो हार के लिए एक व्यक्ति को जिमेदार कैसे ठहराया जा सकता है बहुत हद तक यही बात रायपुर के सम्बन्ध में भी कही जा सकती है जो लोग रायपुर सांसद को अंगद से जोड़ के देख रहे है और प्रोजेक्ट कर रहे है उनक ख्वाब उस समय टूट जायेगा जब चुनाव में उनके अंगद का सामना किसी बाली से हो जायेगा . राजनीती में ही नहीं वरन आम जीवन में भी कई बार लोग बिना बाली का सामना किये खुद को अंगद समझने की गलती कर बैठ्ते है
संपादक
cg4भड़ास.com
लिंकhttp://www.dailychhattisgarh.com/today/Page%202.pdf
Friday, February 27, 2009
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
1 comments:
जिस अंगद की आप बात कह रहे हैं अगर मैं सही समझ रहा हूं तो ये वही श्रीमान हैं जो छत्तीसगढिया स्वाभिमान के लिए आवाज उठाने की बात रहे हैं बात तो महत्तवपूर्ण है मगर समस्या विषय को इमानदारी से निभाने की है, इस राज्य के हितचिंतक तो बडे बडे उभरे और सत्ता की बागडोर भी उन्हें मिली लेकिन जो विकास होना चाहिए था वह स्वप्न माञ रह गया है,अब तो यही आशा है कि इन मिथक पाञों से ही कुछ शिक्षा लेकर आगाज्र हो और और हमारी धरती में नई बहार आए,,,,
Post a Comment
कुछ तो कहिये, क्यो की हम संवेदन हीन नही